जीवन परिचय- दद्दू प्रसाद, पूर्व कैबिनेट मंत्री उ.प्र. एवं राष्ट्रीय संयोजक, सामाजिक परिवर्तन मिशन

दद्दू प्रसाद  एक राजनेता की तरह सफेद कुर्ता व पायजामे में नहीं, बल्कि कोट-पैंट पहनना ज्यादा पंसद करते हैं और उसमें ज्यादा सहज भी रहते हैं. 

दद्दू प्रसाद का राजनीति का सफर बहुत मुश्किलों से भरा रहा है, पर हार न मानने के स्वभाव के कारण वह आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में टिके हुए हैं. वह तीन बार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से विधायक और 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं

अमीरों के घर में बंधुआ मजदूर थे उनके पिता

दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के उसूलों को मानने वाले दद्दू प्रसाद का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा. उनके पिता अमीरों के घर में बंधुआ मजदूर थे. गरीब-अमीर के अंतर को बचपन से समझने वाले दद्दू प्रसाद ने कड़ी मेहनत कर 'पोलीटेक्निक डिप्लोमा' की पढ़ाई पूरी की, पर इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले दद्दू प्रसाद कांशीराम से प्रभावित होकर राजनीति की गलियों में आ गए. दद्दू प्रसाद खुद के राजनीति में आने का मुख्य कारण दलित और वंचित समाज के लिए कुछ करने की चाह बताते हैं. वह मानते हैं कि दलित और पिछड़ा जाति को छह हजार जातियों में तोड़ा गया है. उनके पास आज भी न तो ज्ञान है, न धन संपदा और न ही वे आज नौकरशाही में बड़े पदों पर हैं.
चित्रकूट को ही अपनी कर्मभूमि मानते हैं दद्दू प्रसाद

दद्दू प्रसाद के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी अपने उद्देश्यों से भटक गई है. चित्रकूट के मऊ, मानिकपुर से विधायक रहे दद्दू प्रसाद बांदा में पले-बढ़े हैं, लेकिन दद्दू प्रसाद चित्रकूट को ही अपनी कर्मभूमि मानते हैं. दद्दू प्रसाद अपनी पार्टी के कार्यकता को 'माउथ मीडिया' कहते हैं. वह प्रसार के सब साधनों को, यहां तक की बड़े मीडिया को भी ऊंची मानी जाने वाली जातियों का साधन बताते हैं. इसलिए वह अपने कार्यकर्ता को लोगों से जुड़ने और उनकी समस्या को समझने के लिए कहते हैं.  दद्दू प्रसाद चित्रकूट की जनता के लिए काम करना चाहते हैं और इसके लिए उनका हारना या जीतना कोई मायने नहीं रखता.

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